इस बार गर्मियों में भी खूबसूरत बर्फ से आबाद है गुलमर्ग, अब भी दो फीट बर्फ मौजूद, बस नहीं हैं तो सैलानी

 कश्मीर सर्दियों में सबसे ज्यादा खूबसूरत होता है। और कश्मीर में सबसे हसीन हैं घाटी-ए-गुलमर्ग। इस बार गर्मियों में भी यहां दो फीट बर्फ मौजूद है। यही वजह है कि एशिया के इस सबसे मशहूर स्कीइंग डेस्टिनेशन की खूबसूरती तो आबाद है, लेकिन अफसोस सैलानी नहीं हैं।



आमतौर पर कश्मीर में नवंबर से मार्च बर्फ का मौसम होता है। इस बार मार्च के आखिर तक बर्फ पड़ी है।


आमतौर पर कश्मीर में नवंबर से मार्च तक का महीना बर्फ का मौसम होता है। इस बार मार्च के आखिर तक बर्फ पड़ी है। गुलमर्ग के स्लोप्स दुनिया के बेस्ट स्की स्लोप्स कहे जाते हैं। 13 हजार फीट की ऊंचाई पर अफरवट से स्कीइंग और स्नोबोर्ड का रोमांच महसूस करने हर साल हजारों देसी और विदेशी सैलानी यहां पहुंचते हैं।



कश्मीर में 2019 में जितने भी पर्यटक पहुंचे उनमें से 80 प्रतिशत जुलाई तक आए थे, अगस्त में 370 हटने के बाद से यहां पर्यटकों ने रुख नहीं किया।


जो स्कीइंग न करना चाहें, उनके लिए पाइन के दरख्तों के बीच एशिया की सबसे बड़ी और ऊंची केबल कार की सैर रोमांच के मामले में स्कीइंग से जरा भी कम नहीं। ये वह केबल कार है जो दो स्टेज में हर घंटे 600 लोगों को कोन्गडुंगरी परबत के मुहाने से ऊपर 13 हजार फीट ऊंची अफरवट चोटी तक ले जाती और ले आती है।



गुलमर्ग के स्लोप्स दुनिया के बेस्ट स्की स्लोप्स माने जाते हैं। स्कीइंग और स्नोबोर्ड का रोमांच महसूस करने हर साल हजारों देसी और विदेशी यहां पहुंचते हैं।


बर्फ की मोटी चादर के बीच कश्मीर घाटी की सबसे खूबसूरत अफरवट चोटी से स्कीइंग का लुत्फ उठाने का लालच भला कोई स्कीइंग का दीवाना कैसे छोड़ता। लेकिन अफसोस यहां खामोशी है। वजह इस बार सुरक्षा हालात नहीं बल्कि कोरोना है।



गुलमर्ग में कुल 40 होटल्स हैं। जबकि घर एक भी नहीं, कुछ इलाकों में गुज्जरों के ढोक हैं। 


पिछले 9 महीनों में कश्मीर टूरिज्म को खासा नुकसान हो चुका है। 5 अगस्त को धारा-370 हटाने के ठीक पहले यहां मौजूद 20 से 25 हजार सैलानियों को अचानक सुरक्षा का हवाला देते हुए कश्मीर छोड़ने का फरमान जारी हुआ। फिर अक्टूबर में ट्रेवल एडवाइजरी वापस ले लेने और कश्मीर को एक बार फिर सुरक्षित घोषित कर देने के बावजूद इक्का-दुक्का टूरिस्ट ही कश्मीर का रुख कर पाए।



एशिया की सबसे बड़ी और ऊंची केबल कार कोन्गडुंगरी  से आफरवट तक ले जाती है।


एक दर्जन से भी कम होटल्स ने दिसंबर जनवरी में अपने ताले खोले थे। लेकिन टूरिस्ट इतने कम की मुनाफा तो दूर मेंटेनेंस भी पूरा नहीं वसूल पाए। फिर पिछले महीने मार्च में खेलो इंडिया के जरिए देश के पहले विंटर गेम्स में 800-900 खिलाड़ी गुलमर्ग पहुंचे ही थे, कि इवेंट खत्म होते ही कोरोना की एडवाइजरी जारी हो गई। और ताबड़तोड़ होटल-रिसॉर्ट खाली करवा लिए गए।



पिछले 9 महीनों में कश्मीर टूरिज्म को खास नुकसान हुआ है। 2019 में 5 लाख टूरिस्ट कश्मीर आए थे जबकि 2018 में 8.5 लाख के करीब।


गुलमर्ग में कुल 40 होटल्स हैं। जबकि घर एक भी नहीं। यहां घरौंदे बनाने की मनाही है। हां कुछ इलाकों में गुज्जरों के ढोक हैं। गर्मियों में ये घुमक्कड़ यहां अपने जानवरों के साथ रहने आते हैं।



यह गुलमर्ग का मशहूर शिव मंदिर है जिसे डोगरा महाराज ने बनवाया था। इसकी लोकेशन ऐसी है कि गुलमर्ग की हर जगह से ये नजर आता है।


यही नहीं टूरिस्ट से गुलजार रहनेवाले इस डेस्टिनेशनल को जीरो क्राइम कैटेगरी में जगह मिली हुई हैै। यहां सालभर में बमुश्किल 20 एफआईआर होती हैं। वो भी छोटी-मोटी चोरी, छेड़खानी या फिर गैरकानूनी कंस्ट्रक्शन से जुड़ी।



गुलमर्ग में 8 हजार फीट की ऊंचाई पर दुनिया का सबसे ऊंचा गोल्फ कोर्स भी है। 18 होल्स वाला यह गोल्फ कोर्स अंग्रेजो ने ही बनवाया था। 


अफरवट के काफी नजदीक है भारत और पाकिस्तानी की लाइन ऑफ कंट्रोल। और सेना का मशहूर हाई एल्टीट्यूड वॉरफेयर स्कूल भी। सियाचिन पोस्टिंग से पहले सेना अपने ऑफिसर्स को यहीं बर्फ और हाईएल्टीट्यूड में सर्वाइवल की ट्रेनिंग देती है।


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